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Dhanteras 2022 धनतेरस का पर्व धन और आरोग्य से जुड़ा हुआ है। धन के लिए इस दिन कुबेर की पूजा की जाती है और आरोग्य के लिए धनवन्तरि की पूजा की जाती है। इस दिन मूल्यवान धातुओं नए बर्तनों और आभूषणों की खरीदारी का विधान होता है।
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हिंदू धर्म में धनतेरस पर्व को बहुत ही शुभ माना गया है। मान्यता है कि इस दिन सोने, चांदी इत्यादि जैसे शुभ धातु को खरीदने से व्यक्ति को बहुत लाभ मिलता है और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। Dhanteras के दिन इस बार अत्यंत शुभ संयोग बन रहा है। दिवाली से 2 दिन पहले मनाया जाने वाले इस पर्व को धनत्रयोदशी भी कहते हैं।
इस दिन भगवान धनवंतरी की पूजा (Dhanvantri Puja) की जाती है और प्रदोष काल में यम के नाम से दीपदान किया जाता है। Dhanteras के दिन सोना,चांदी, बर्तन, भूमि खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं Dhanteras शुभ मुहूर्त और भगवान धनवंतरी पूजा समय।

धनतेरस क्यों मनाया जाता हैं?
शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि विष्णु के अंशावतार हैं। संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरि का अवतार लिया था। भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही Dhanteras का त्योहार मनाया जाता है।
शास्त्रों के मुताबिक, समुंद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर भगवान धन्वंतरि हाथों में कलश लिए समुंद्र से प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अंशावतार माना जाता है। भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही हिंदू धर्म में धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इसलिए यह पर्व धन के साथ स्वास्थ्य से भी जुड़ा है।
Dhanteras Kyu Manaya Jata Hai
धनतेरस (Dhanteras) का पर्व धन और आरोग्य से जुड़ा हुआ है। धन के लिए इस दिन कुबेर की पूजा की जाती है और आरोग्य के लिए धनवन्तरि की पूजा की जाती है। इस दिन मूल्यवान धातुओं, नए बर्तनों और आभूषणों की खरीदारी का विधान होता है। Dhanteras पर वाहन, घर, संपत्ति, सोना, चांदी, बर्तन, कपड़े, धनिया, झाड़ू आदि खरीदने का महत्व है। इस दिन सभी लोग शुभ महूर्त में ये वस्तुएं खरीदते हैं। आइए धनतेरस पर बरतने वाली कुछ सावधानियों को जानते हैं।
वैसे दिवाली से पहले लोग घर के कोने-कोने की सफाई करते हैं, लेकिन Dhanteras के दिन अगर घर में कूड़ा-कबाड़ या खराब सामान पड़ा हुआ है तो घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होगा। Dhanteras से पहले ही ऐसा सामान बाहर निकाल दें। घर के मुख्य द्वार या मुख्य कक्ष के सामने तो बेकार वस्तुएं बिल्कुल भी ना रखें।
धनतेरस क्यों मनाते हैं?
मुख्य द्वार को नए अवसरों से जोड़कर देखा जाता है। माना जाता है कि घर के मुख्य द्वार के जरिए घर में लक्ष्मी का आगमन होता है। इसलिए ये स्थान हमेशा साफ-सुथरा रहना चाहिए। अगर आप धनतेरस पर सिर्फ कुबेर की पूजा करने वाले हैं तो ये गलती ना करें। कुबेर के साथ माता लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की भी उपासना जरूर करें वरना पूरे साल बीमार रहेंगे।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन शीशे के बर्तन नहीं खरीदने चाहिए। धनतेरस के दिन सोने चांदी की कोई चीज या नए बर्तन खरीदने को अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन नकली मूर्तियों की पूजा ना करें. सोने, चांदी या मिट्टी की बनी हुई मां लक्ष्मी की मूर्ति की पूजा करें। स्वास्तिक और ऊं जैसे प्रतीकों को कुमकुम, हल्दी या किसी शुभ चीज से बनाएं। नकली प्रतीकों को घर में ना लाएं।
धनतेरस 2022 तिथि (Dhanteras 2022 Date)
हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास में त्रयोदशी तिथि 22 अक्टूबर को शाम 6:02 से शुरू हो रही है और इसका समापन अगले दिन 23 अक्टूबर को शाम 6:03 पर होगा। ऐसे में Dhanteras पर्व 22 अक्टूबर 2022 को मनाया जाएगा।
धनतेरस 2022 पूजा मुहूर्त (Dhanteras 2022 Puja Muhurat)
धनतेरस पर्व के दिन भगवान धनवंतरी की पूजा की जाती है। इसके लिए पंचांग में 22 अक्टूबर 2022 को शाम 7:10 से रात 8:24 के बीच समय निर्धारित किया गया है। इस दिन व्यापारी अपने बही-खातों की पूजा करते हैं और धन के देवता कुबेर से व्यापार में सफलता के लिए प्रार्थना करते हैं। इस दिन प्रदोष काल शाम 5:52 मिनट से रात 8:24 तक रहेगा और वृषभ काल शाम 7:10 से रात 9:06 तक रहेगा। Dhanteras के दिन त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। इन सभी योग में पूजा करना शुभ माना जाता है।
- त्रिपुष्कर योग: 22 अक्टूबर 2022, दोपहर 01:50 से शाम 06:02
- इंद्र योग: 22 अक्टूबर 2022, शाम 05:13 से 23 अक्टूबर 2022, शाम 04:07 तक
Dhanteras Kyu Manaya Jata Hai Related FAQs
धनतेरस के दिन किसकी पूजा की जाती है?
कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर लोग धनियाँ के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं। धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है।
धनतेरस का मतलब क्या होता है?
धनतेरस शब्द दो शब्दों से बना है – धन जिसका अर्थ है धन और तेरस का अर्थ है 13 वां दिन । हिंदू कैलेंडर के अनुसार, Dhanteras अश्विन के महीने में कृष्ण पक्ष (अंधेरे पखवाड़े) के 13 वें चंद्र दिवस पर पड़ता है। धनतेरस के दिन को धनत्रयोदशी या धन्वंतरि त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है।
धनतेरस से क्या लाभ होता है?
मान्यता है कि इस दिन जो कुछ भी खरीदा जाता है। उसमें लाभ होता है धन संपदा में इजाफा होता है, धनतेरस के दिन सोना-चांदी खरीदना शुभ माना जाता है।
भगवान धन्वंतरि का पूजन मुख्य रूप से क्यों किया जाता है?
ऐसा माना जाता है की इस दिन की आराधना प्राणियों को वर्षपर्यंत निरोगी रखती है। समुंद्र मंथन की अवधि के मध्य शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धन्वंतरि और अमावस्या को महालक्ष्मी का प्रादुर्भाव हुआ। धन्वंतरी ने ही जनकल्याण के लिए अमृतमय औषधियों की खोज की थी।